मिच्छामी दुक्कड़म/ उत्तम क्षमा का हिन्दी अर्थ, Micchami Dukkadam/Uttam Kshama Meaning
मिच्छामी दुक्कड़म प्राकृत भाषा का शब्द है। मिच्छामी का अर्थ क्षमा और दुक्कड़म का अर्थ दुष्ट कर्म होता है अर्थात जाने-अनजाने किए गए बुरे कर्मों के प्रति क्षमा याचना करना। 4. हम कभी ना कभी जाने-अनजाने में मन, वचन या कर्म से किसी न किसी व्यक्ति को दु:खी करते रहते हैं।
हम अपने मन, वचन और शरीर के द्वारा जो भी क्रिया करते हैं, उसमें प्रायः राग-द्वेष अथवा कषाय की वृत्ति होने के कारण हमें किसी न किसी प्रकार का कर्म-बंध होता रहता है, जो कि हमारे जन्म-मरण के चक्र का मूल कारण है। यदि उन कर्मों में राग-द्वेष की तीव्रता नहीं है तो उनके परिणाम को प्रायश्चित अथवा क्षमापना द्वारा निष्क्रिय किया जा सकता है।
सरल शब्दों में कहें तो मिच्छामी’ का अर्थ क्षमा करने से और ‘ दुक्कड़म ’ का बुरे कर्मों से है। अर्थात मेरे बुरे कर्मों के लिए मुझे क्षमा कीजिये।
यहाँ क्षमा ह्रदय से और हर तरह की गलती के लिए मांगी जाती है, फिर चाहे वो शब्दों से हुई हो या विचारों से, कुछ करने से हुई हो या अकर्मण्य बने रहने से, जानबूझकर की गयी हो या अनजाने में। …. किसी भी प्रकार से यदि मैंने आपको कष्ट पहुँचाया है तो मुझे क्षमा करिए …. मिच्छामी दुक्कड़म।
कुछ लोग ‘खमत खामणा’ भी कहते है, इसका अर्थ होता है, ‘मैं क्षमा करता हूँ, आप भी क्षमा करें।’
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Payurshan Parv : Jain Dharm Me Kyu Khate He Micchami Dukkadam | पयुर्षण पर्व : जैन धर्म में क्यों कहते हैं मिच्छामी दुक्कड़म्
पर्यूषण पर्व, जैन धर्म के प्रमुख पर्वों में से महत्वपूर्ण पर्व माना जाता हैं। श्वेताम्बर जैन इसे 8 दिन तक और दिगंबर जैन इस पर्व को 10 दिन तक मनाते हैं। इस दौरान लोग अपने भगवान कि पुरे मन से पूजा, अर्चना, आरती, समागम, त्याग, तपस्या, उपवास आदि में अधिक से अधिक समय बिताते हैं।
इस पर्व का आखिरी दिन क्षमावाणी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसमे हर किसी से “ मिच्छामी दुक्कड़म ” कह कर क्षमा मांगते हैं।जैन अनुयायी पर्युषण पर्व के अंत मे हर वर्ष सब जीवो से क्षमा मांगते हैं। तथा आगे उन जीवो के प्रति करुणा और शांति बनाये रखने की निस्वार्थ भावना मन में रखते हुए प्रार्थना करते हैं।
यह पर्व महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है तथा मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। ऐसी मान्यता हैं। इस पर्वानुसार- ‘संपिक्खए अप्पगमप्पएणं’ अर्थात आत्मा के द्वारा आत्मा को देखो। संवत्सरी, प्रतिक्रमण, केशलोचन, तपश्चर्या, आलोचना और क्षमा-याचना। गृहस्थों के लिए भी शास्त्रों का श्रवण, तप, अभयदान, सुपात्र दान, ब्रह्मचर्य का पालन, आरंभ स्मारक का त्याग, संघ की सेवा और क्षमा-याचना आदि कर्तव्य बताये गए हैं।
जैन धर्मानुसार चातुर्मास प्रारंभ होने के 50वें दिन इस पर्व को मनाता है। संपूर्ण चतुर्मास का समय ही आत्मशुद्धि व अंतर्यात्रा का समय होता है। जो चतुर्मास का पालन नहीं कर पाते हैं वे पर्युषण के आठ दिनों में अपनी अंतर्यात्रा की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
Micchami Dukkadam/ Uttam Kshama Message: इन मिच्छामी दुक्कड़म्/ उत्तम क्षमा संदेश को भेजकर मनाएं क्षमावाणी पर्व
जैन धर्म का विशेष पर्व पर्युषण 13 सितंबर को समाप्त होने जा रहा है। पर्युषण पर्व के अंत में विभिन्न स्थानों पर क्षमा उत्सव का आयोजन किया जाएगा। तभी लोग एक-दूसरे से बेहतरीन तरीके से क्षमा मांगेंगे।
Michhami Dukkadam/ Uttam Kshama Messagess
1. यह जिंदगी का प्रवास है, कम समय में जीने का प्रयास है
लेने जेसी चीज है, तो प्रेम की मिठास है…
और छोडऩे जैसी चीज है, तो मन की कड़वास है….
उत्तम क्षमा
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2. न किसी को गम का संसार दो, न किसी को छल कपट का उपहार दो।
नर से महावीर बनना हो तो, हर एक को आत्मीयता का व्यवहार दो।
भला हुआ हो चाहे बुरा उसे भुला दीजिए। भीतर के जीवन पुष्प को खिला लीजिए। प्यार से पड़ी हो चाहे खार से पड़ी हो, जो गांठे पड़ी हैं उसे खोल लीजिए।।।
उत्तम क्षमा
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3. भूल हो जाना मानव मात्र का स्वभाव है, लेकिन क्षमा करना देवीय स्वभाव है। हमारा अहंकार हमें क्षमा मांगने से रोकता है और तिरस्कार क्षमा देने में बाधक बनता है। क्षमावाणी के इस पर्व पर अहंकार और तिरस्कार को त्याग करते हुए मैं क्षमा याचना करता हूं।
उत्तम क्षमा
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4. क्षमा मांगना और दिल से क्षमा करना ही सच्ची क्षमा है। सिर्फ दूर-दूर के रिश्तों में हल्की सी जान पहचान में या जिनसे मधुर संबंध हो उनसे क्षमा की लेन देन कर हम स्वयं को धोखा देते है। क्षमा से कमालो गंवाए हुए को, क्षमा से हंसा लो रुलाए हुए को।
उत्तम क्षमा
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5. दान को सर्वश्रेष्ठ बनाना हे तो क्षमादान करना चाहिए।
उत्तम क्षमा
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6. क्षमा में जो महत्ता है, जो औदार्य है, वह क्रोध और प्रतिकार में कहां। प्रतिहिंसा हिंसा पर ही आघात कर सकती है, उदारता पर नहीं।
उत्तम क्षमा
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7. संसार में ऐसे अपराध कम ही है जिन्हें हम चाहे और क्षमा न कर सकें।
उत्तम क्षमा
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8. क्षमा मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ और सर्वोच्च गुण है, क्षमा दंड देने के समान है।
उत्तम क्षमा
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9. क्षमा धर्म है, क्षमा यज्ञ है, क्षमा वेद है और क्षमा शास्त्र है। जो इस प्रकार जानता है, वह सब कुछ क्षमा-क्षमा करने योग्य हो जाता है।
उत्तम क्षमा
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10. संसार में मानव के लिए क्षमा एक अलंकार है।
उत्तम क्षमा
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11. क्षमा तेजस्वी पुरुषों का तेज है, क्षमा तपस्वियों का ब्रह्म है, क्षमा सत्यवादी पुरुष्पों का सत्य है, क्षमा यज्ञ है और क्षमा मनाविग्रह है।
उत्तम क्षमा
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12. भुल होना प्रकृति है मान लेना संस्कृति है
इसलिये की गई गलती के लिये हमें क्षमा करे
उत्तम क्षमा
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13. छोटा सा संसार गलतिया अपार आपके पास है क्षमा का अधिकार
कर लीजिये निवेदन स्वीकार
उत्तम क्षमा
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14. जाने अनजाने में हम से कोई भूल हुई या हमने आपका दिल दुखाया हो तो
मन, वचन, काया से “उत्तम क्षमा” समभाव रखते हुए “पर्युषण” महापर्व पर
हम आपसे मन, वचन, काया से “क्षमा याचना” करते है
उत्तम क्षमा
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15. दो शब्द क्षमा के जीवो को खुशहाल करते है टकराव दूर होता है,
खुशिया हज़ार देते हैखुश रहे खुशिया बाटे, महान उसे कहते है
उत्तम क्षमा